अपना पराया
*** अपना पराया ***
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अपना ही पराया है,
जी भर कर सताया है।
सागर जैसे सहारे जो,
हमको ही तो डुबोया है।
काँटों वाला बिछौना है,
यारो बिस्तर बिछाया है।
राहों में साथ है छोड़ा,
गैरों सीने लगाया है।
मनसीरत भी अकेला है,
जीवन ऐसे बिताया है।
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सुखविन्दर सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)