अपना दीपक आप बन
अपना दीपक आप बन
सूरज अंधेरा
उगल रहे हों
रोशनी को निगल रहे हों
तब कौन राह
प्रशस्त करे
अपना दीपक आप बन
तू क्यूं न खुद को
अभ्यस्त करे
-विनोद सिल्ला
अपना दीपक आप बन
सूरज अंधेरा
उगल रहे हों
रोशनी को निगल रहे हों
तब कौन राह
प्रशस्त करे
अपना दीपक आप बन
तू क्यूं न खुद को
अभ्यस्त करे
-विनोद सिल्ला