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7 Oct 2024 · 1 min read

अपना जख्म

अपना जख्म अभी ताजा है।
मवाद भरा है।
जरूरत से ज्यादा दर्द भरा है।
कहने वाले दर्द बयां करते हैं ।
पर ,तन -मन दोनों जख्मी है।
हैरान हूं , परेशान हूं।
चोट पर चोट खाकर जिंदगी गुज़र रही है।
हर कोई जख्म कुरेद रहा है ।
रिश्ते टूट रहे हैं,
कौन अपना, कौन पराया,
सब छूट रहे हैं।
रिश्ते टूट रहे हैं।
सबका दिल गवाह है।
अपना जख्म ताजा लग रहा है
बिखरा हुआ आज लग रहा है ।
_ डॉ सीमा कुमारी ।
7-10-024की स्वरचित रचना है मेरी।

Language: Hindi
36 Views
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