अपना गॉव
अच्छी थी पगडंडी अपनी,
सड़कों पर तो जाम बहुत है।
फुर्र हो गई फुर्सत अब तो,
सबके पास काम बहुत है।
नहीं जरूरत बूढ़ों की अब,
हर बच्चा बुद्धिमान बहुत है।
उजड़ गए सब बाग बगीचे,
दो गमलों में शान बहुत है।
मट्ठा, दही नहीं खाते हैं,
कहते हैं जुकाम बहुत है।