अपना को मेरे
दिल को मेरे नही समझा कभी अपना है
रहे कुछ दिन चले दिए बोल अलविदा है
फिर भी मांगे हम रब से उनकी खैर सदा
जो बन गया अब देखो किसी गैर का है
आईने की हिमाकत भी है देखी हमने तो
हंसता ही रहा देखकर वो मेरा ही चेहरा है
नजरो ही नजरो मे कह दिया तू मेरा है
वो मगर नजरो की भाषा नही समझा है
मोहन पल मे ही मान लिया वो अपना है
बाद लगता है ये दिल मेरा ही पगला है