अपना कोई नहीं है इस संसार में….
अपना कोई नहीं इस संसार में,
लगता है कि ये उम्र बीत जायेगी किसी अपने के इंतजार में।
कांटो के बदले भी फूल ही दिए हमने,
पता नहीं क्या कमी रह गई मेरे प्यार में।
जले पर मरहम नहीं नमक लगाते हैं लोग,
यही दस्तूर है दुनिया के बाजार में।
पता है कोई नहीं आएगा दर्द बांटने मेरा
फिर क्यों बैठे हैं हम यहां बेकार मैं?
रंगहीन सा लगता है जग सारा,
पतझड़ ही नजर आता है मुझको अब तो हर बहार में।