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8 Jul 2019 · 1 min read

अपना कर्म अपने लिए

अच्छा या बुरा करते कर्म,करते हैं अपने लिए।
दूजे का अरे लेकर नाम,भ्रम में कोई ना जिए।।

जो बोये वही काटे मूल,दौड़े जीते वो यहाँ।
पानी से बुझे लब की प्यास,आँखों से देखो जहाँ।
पाओगे सदा वैसे मोल,जैसे तुमने हैंं किए।
दूजे का अरे लेकर नाम,भ्रम में कोई ना जिए।।

रोने से बनो निर्बल एक,हँसने से खुशियाँ मिलें।
मेहनत से तुम्हें मिलती जीत,आलस से ताने गिलें।
अपने ही मिलें करनी लेख,औरों के ना हों दिए।
दूजे का अरे लेकर नाम,भ्रम में कोई ना जिए।।

छोड़ो सब बहानों के रोग,हो अपना नुकसान ही।
पाओ अब उड़ानों के योग,हो अपना सम्मान ही।
आएँ काम अफ़साने यार,दिल से हमने जो सिए।
दूजे का अरे लेकर नाम,भ्रम में कोई ना जिए।।

अच्छा या बुरा करते कर्म,करते हैं अपने लिए।
दूजे का अरे लेकर नाम,भ्रम में कोई ना जिए।।

आर.एस.प्रीतम
——————–
सर्वाधिकार सुरक्षित–radheys581@gmail.com

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 243 Views
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