अपनापन
जब भी तू उसे देख हाँ अपना सा लगेगा
आकर वो दूर से तेरे सीने से लगेगा।।
चूमेगा हाथ तेरा व कलाई पकड़ कर
किसी आफ़ताब सा देखो रौशन लगेगा।।
हाथों में सजाएगा तेरे सतरंगी चूड़ियाँ
पावों के पायल सा वो खनकने लगेगा।।
देख प्रेम को तेरे हाँ बहुत कुछ लगेगा
लगने वालों को शायद मिर्ची सा लगेगा।।
©अनन्या राय पराशर ®