“अपनापन” (सखियों के मध्य मधुर संवाद)
शीर्षक-“अपनापन” (सखियों का हिंदी संवाद)
प्रिय सखी
आगमन से आपके मन-मंदिर दोनों ही प्रफुल्लित हुए । आपकी उपस्थिति से मेरी सुहागिन-पूजा को पूर्णता प्राप्त हुई, उसके लिए अनेकानेक धन्यवाद एवं आभार । भविष्य में भी मुझे आपका प्रेम-स्नेह ऐसे ही मिलता रहे इसी आकांक्षा के साथ
प्रिय सखी
मैं भी आभारी हूं , इस सुहागिन-पूजा के बुलावे से मेरा मन-मंदिर भी प्रसन्न होकर आपको शुक्रिया अदा करता है और ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि वह सदा आपकी मनोकामना पूर्ण करे और हमारा प्रेम-स्नेह यूं-ही अग्रसर हो ।
दिलों को जोड़ती हिंदी-भाषा में हुए संवादों से जो अपनापन झलक रहा, वह अन्य भाषाओं में कहां?
आरती अयाचित
स्वरचित एवं मौलिक
भोपाल