अपनापन कोई दुकान नहीं
दिल और अपनापन कोई दुकान नहीं
जब जी चाहे ख़रीद लो वापस कर दो
अपनेपन की अहमियत समझोगे भला कैसे?
अपने ही दिल के टुकड़े-टुकड़े कर के देखो।
सर्वाधिकार सुरक्षित ©किशन कारीगर
दिल और अपनापन कोई दुकान नहीं
जब जी चाहे ख़रीद लो वापस कर दो
अपनेपन की अहमियत समझोगे भला कैसे?
अपने ही दिल के टुकड़े-टुकड़े कर के देखो।
सर्वाधिकार सुरक्षित ©किशन कारीगर