अन्न
सारगर्भित लेख
हमारी भारतीय संस्कृति कर्म प्रधान संस्कृति है।
पूरे विश्व में भारत अपनी संस्कृति और परंपरा के लिये प्रसिद्ध देश है। ये विभिन्न संस्कृति और परंपरा की भूमि है। हमारी संस्कृति का महत्वपूर्ण तत्व अच्छे शिष्टाचार, तहज़ीब, सभ्य संवाद, धार्मिक संस्कार, मान्यताएँ और मूल्य आदि हैं। अब जबकि हरेक की जीवन शैली आधुनिक हो रही है, भारतीय लोग आज भी अपनी परंपरा और मूल्यों को बनाए हुए हैं। किंतु हम अपनी भागदौड़ की जिंदगी में बदलाव के नाम पर बहुत कुछ भूलते भी जा रहे हैं। शादी ब्याह वह अन्य उत्सवों के नाम पर हम अन्न और पैसे खूब व्यर्थ करते हैं। बल्कि झूठन के नाम पर हम भोजन का ३० प्रतिशत हिस्सा कूड़े में डाल देते हैं।अगले दिन बचा हुआ भोजन कूड़े में डाल देते हैं जिसमें बेचारे गरीब भूखे बच्चे वहीं से उठाकर खा रहे होते हैं। यदि आप हम सभी थोड़ी सी सावधानी बरतें तो कितने ही भूखों को वो भोजन मिल सकता है। जैसे-
पहला कदम हम निमंत्रण पत्र पर एक नोट के रूप में लिखवा सकते हैं कि अन्न व्यर्थ न करें जितनी भूख हो उतना ही लें। घर में मां, पत्नी वो बहन भोजन परोसते समय भूख अनुसार परोसें और कम पड़े तो और लें ऐसे खाना झूठा नहीं बचेगा तथा किसी जरूरतमंद को दिया जा सकेगा।* गाय, चिड़ियां व कुत्ते की रोटी निकालें।* बचा हुआ भोजन गऊशाला और अन्य जरूरतमंदों को दें। इससे अन्न व्यर्थ भी नहीं होगा और कितने ही भूखों की भूख मिटेगी।
कृपया सभी अपने स्तर पर प्रयास करें।
नीलम शर्मा