अन्तिम करवट
जाने की खबर आई
ये सोच हंस दिया ।
करवट बदल रहा हूं
शोर बहुत सुन लिया ।।१।।
हवाओं के एक जोर ने
किराए का घर बदल दिया ।
वर्षों से सजा रहे थे
एक पल में शून्य कर दिया ।।२।।
अब मौन ही रह गया
वो मौन ही प्रारंभ था ।
जिस मौन से उत्पन्न हुए
वह मौन सर्व संपन्न था ।।३।।
जा मिले उनसे जो बिछड़े
बरसों की तलाश थी ।
भूल गए जो घर को अपना
आज मिलन की रात थी ।।४।।