Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
24 Mar 2018 · 2 min read

अन्तर्मन

चिंतन-मंथन कीजिए , अन्तर्मन से रोज ।
दिव्य दृष्टि होगी प्रखर , सहज सत्य की खोज ।।१

राधा जी धड़कन बसे, अन्तर्मन में श्याम।
रोम-रोम सुमिरन करें, हर पल तेरा नाम ।। २

अन्तर्मन में हर दिवस, उठते कई सवाल।
कुछ खामोशी से रहे, कुछ कर उठें बवाल।।३

जब अन्तर्मन से मिले,कोई आशीर्वाद।
जागे किस्मत इस तरह, दुनिया करती याद।।४

अन्तर्मन की वेदना,उभर कंठ में आय।
अधरों को छूते हुए, मुख से निकले हाय।। ५

देना दुख मन को नहीं, वहाँ बसे भगवान।
अन्तर्मन की आह से, होता है नुकसान।। ६

कितना अद्भुत सोचता, बिन बाधा के मौन।
अन्तर्मन की सोच से, बच पाया है कौन।। ७

अन्तर्मन में,जब कभी, खुद की खुद ठन जाय।
कलम पकड़ते हाथ में, फिर कविता बन जाय।। ८

निरंतर, अनवरत हुए, अन्तर्मन पर घात।
पी अंतस पीड़ा सभी, गीत खुशी के गात।। ९

जीवन का दर्पण यही, अन्तर्मन को खोल।
जाने कितने भाव हैं, हर भावों को तोल।। १ ०

अंतर्मन करता सदा, सुन लो अंतर नाद।
हटे मैल मन की तभी, रहे दूर अवसाद।। १ १

हैं अनुरंजित राग-रस, कई भाव जज्बात।
चिन्तन मंथन से समझ, अंतर्मन की बात।। १ २

अन्तर्मन देता करा, स्वयं आत्म का ज्ञान।
चिन्तन मंथन से हुआ, सही गलत का भान।। १ ३

काम गलत कोई करे, अन्तर्मन झकझोर।
दर्द खुशी महसूस कर, भींगे नैना कोर।। १ ४

अन्तर्मन टूटा लगे, धड़कन लगता जाम।
समझो अपनो ने किया, औरों जैसा काम।। १ ५

साजन मैं किससे कहूँ, अन्तर्मन की बात।
आन मिलो अब साजना, कटे नहीं दिन – रात।।१ ६

????—लक्ष्मी सिंह ?☺

Language: Hindi
449 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all

You may also like these posts

” शायद तु बेटी है ! “
” शायद तु बेटी है ! “
ज्योति
परम तत्व का हूँ  अनुरागी
परम तत्व का हूँ अनुरागी
AJAY AMITABH SUMAN
‘सलाह’ किसकी मानें और कितनी मानें (सर्वाधिकार सुरक्षित)
‘सलाह’ किसकी मानें और कितनी मानें (सर्वाधिकार सुरक्षित)
पंकज कुमार शर्मा 'प्रखर'
जी हमारा नाम है
जी हमारा नाम है "भ्रष्ट आचार"
Atul "Krishn"
सियासत में आकर।
सियासत में आकर।
Taj Mohammad
मेरी पुरानी कविता
मेरी पुरानी कविता
Surinder blackpen
खो गईं।
खो गईं।
Roshni Sharma
रंगत मेरी बनी अभिशाप
रंगत मेरी बनी अभिशाप
Suman (Aditi Angel 🧚🏻)
कविता के शब्द
कविता के शब्द
Dr.Pratibha Prakash
#अज्ञानी_की_कलम
#अज्ञानी_की_कलम
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
मां तौ मां हैं 💓
मां तौ मां हैं 💓
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
"मुश्किलों से मुकाबला कर रहा हूँ ll
पूर्वार्थ
श्राद्ध पक्ष
श्राद्ध पक्ष
surenderpal vaidya
श्री राम का जीवन– संवेदना गीत।
श्री राम का जीवन– संवेदना गीत।
Abhishek Soni
तू मेरी रोशनी मैं तेरा दीपक हूं।
तू मेरी रोशनी मैं तेरा दीपक हूं।
Rj Anand Prajapati
सांसों को धड़कन की इबादत करनी चाहिए,
सांसों को धड़कन की इबादत करनी चाहिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सूरज मुझे जगाता, चांद मुझे सुलाता
सूरज मुझे जगाता, चांद मुझे सुलाता
Sarla Mehta
3848.💐 *पूर्णिका* 💐
3848.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कशमें मेरे नाम की।
कशमें मेरे नाम की।
Diwakar Mahto
अगर वास्तव में हम अपने सामर्थ्य के अनुसार कार्य करें,तो दूसर
अगर वास्तव में हम अपने सामर्थ्य के अनुसार कार्य करें,तो दूसर
Paras Nath Jha
बीत गया सो बीत गया...
बीत गया सो बीत गया...
डॉ.सीमा अग्रवाल
एहसास हो ऐसा
एहसास हो ऐसा
Dr fauzia Naseem shad
Dictatorship in guise of Democracy ?
Dictatorship in guise of Democracy ?
Shyam Sundar Subramanian
नवरात्रि पर माता को भोग
नवरात्रि पर माता को भोग
Rajesh Kumar Kaurav
"आदत"
Dr. Kishan tandon kranti
शृंगारिक अभिलेखन
शृंगारिक अभिलेखन
DR ARUN KUMAR SHASTRI
सच्ची  मौत
सच्ची मौत
sushil sarna
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ग़ज़ल की ये क़िताब,
तेरे बिछड़ने पर लिख रहा हूं ग़ज़ल की ये क़िताब,
Sahil Ahmad
समर्पण
समर्पण
Neerja Sharma
#लघुव्यंग्य-
#लघुव्यंग्य-
*प्रणय*
Loading...