Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Mar 2021 · 1 min read

अन्तर्मन की बातें

अन्तर्मन की बातें

भीतर की सीलन में सड़ती, लेकिन नहीं सुखाई जाती…
अन्तर्मन की बातें अक्सर, ना सबसे बतियाई जातीं…

रहते सदा भीड़ के अंदर पर अंदर से निपट अकेले…
कहनी हैं बहुतेरी बातें कौन सुने बिन अपने मेले…
अंदर अंदर दम नहीं घुटती, बातें अगर सुनाई जातीं…
अन्तर्मन की बातें अक्सर, ना सबसे बतियाई जातीं…

जितने रिश्ते इतनी बातें सुबह शाम पर अंत न होतीं…
हँसते कभी सिसकते दिखते बातें व्यर्थ बतंगड़ होतीं…
हाथ मिलाते गले लगाते, पर ना रूह मिलाई जाती…
अन्तर्मन की बातें अक्सर, ना सबसे बतियाई जातीं..

जीते हैं अपनों की ख़ातिर अपनों के ही तो सपने हैं…
अपनों की सुनकर भी करते सच सा भ्रम लगते अपने हैं…
भारत निज अंतर कह पाता, प्रीति की रीत निभाई होती…
अन्तर्मन की बातें अक्सर, ना सबसे बतियाई जातीं..

भारतेंद्र शर्मा “भारत”
धौलपूर, राजस्थान

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 454 Views

You may also like these posts

तुम्हारी याद आती है
तुम्हारी याद आती है
डॉ. एकान्त नेगी
कोरोना काल में काल से बचने के लिए
कोरोना काल में काल से बचने के लिए "कोवी-शील्ड" का डोज़ लेने व
*प्रणय*
बचपन
बचपन
Phool gufran
गीत- हरपल चाहूँ तुझे निहारूँ...
गीत- हरपल चाहूँ तुझे निहारूँ...
आर.एस. 'प्रीतम'
दीपावली पर बेबहर गज़ल
दीपावली पर बेबहर गज़ल
मधुसूदन गौतम
ऐसा घर चाहिए......
ऐसा घर चाहिए......
Jyoti Roshni
कुरुक्षेत्र की अंतिम ललकार भाग-2
कुरुक्षेत्र की अंतिम ललकार भाग-2
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
प्रेम
प्रेम
Shyam Sundar Subramanian
प्रेम की पाती
प्रेम की पाती
Awadhesh Singh
अक्का देवी
अक्का देवी
Dr.Pratibha Prakash
अदब  नवाबी   शरीफ  हैं  वो।
अदब नवाबी शरीफ हैं वो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
हुए प्रकाशित हम बाहर से,
हुए प्रकाशित हम बाहर से,
Sanjay ' शून्य'
सन्तानों  ने  दर्द   के , लगा   दिए    पैबंद ।
सन्तानों ने दर्द के , लगा दिए पैबंद ।
sushil sarna
कैसे पचती पेट में, मिली मुफ्त की दाल।.
कैसे पचती पेट में, मिली मुफ्त की दाल।.
RAMESH SHARMA
प्रेमिका और पत्नी
प्रेमिका और पत्नी
Acharya Rama Nand Mandal
दाल गली खिचड़ी पकी,देख समय का  खेल।
दाल गली खिचड़ी पकी,देख समय का खेल।
Manoj Mahato
जिसकी शाख़ों पर रहे पत्ते नहीं..
जिसकी शाख़ों पर रहे पत्ते नहीं..
Shweta Soni
*युद्ध सभी को अपने-अपने, युग के लड़ने ही पड़ते हैं (राधेश्या
*युद्ध सभी को अपने-अपने, युग के लड़ने ही पड़ते हैं (राधेश्या
Ravi Prakash
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Neelofar Khan
तुम शब्द मैं अर्थ बनूँ
तुम शब्द मैं अर्थ बनूँ
Saraswati Bajpai
"कसौटी"
Dr. Kishan tandon kranti
प्रेम
प्रेम
लक्ष्मी वर्मा प्रतीक्षा
4341.*पूर्णिका*
4341.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जताने लगते हो
जताने लगते हो
Pratibha Pandey
📚पुस्तक📚
📚पुस्तक📚
Dr. Vaishali Verma
मौलिक विचार
मौलिक विचार
डॉ.एल. सी. जैदिया 'जैदि'
दोस्ती कर लें चलो हम।
दोस्ती कर लें चलो हम।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
डॉ. नगेन्द्र की दृष्टि में कविता
डॉ. नगेन्द्र की दृष्टि में कविता
कवि रमेशराज
भय
भय
R D Jangra
नए मौसम की चका चोंध में देश हमारा किधर गया
नए मौसम की चका चोंध में देश हमारा किधर गया
डॉ. दीपक बवेजा
Loading...