अन्तर्मन की चेतना
वो पिटता लुटता रहा
वो लहुलुहान होता रहा
वो चिल्लाता पुकारता रहा
मै वीडियो बनाता रहा ।
उसके पास जाने से मै कतराता रहा
आवाज निकालने से मै डरता रहा
उससे आंखें मिलाने से मै बचता रहा
चुपके से किनारा मै उससे करता रहा ।
वीडियो फेसबुक पर अपलोड मै करता रहा
लाइक उसके देख मै इतराता रहा
सबको उसके लुटने की बात मै सुनाता रहा
समय का चक्र चलता रहा ।
इक दिन मै भी यूं ही लुटता रहा
वो दूर खड़ा मुस्कराता रहा
अब तेरी बारी है बताता रहा
अन्तर्मन की चेतना वो जगाता रहा ।।
राज विग