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13 Oct 2021 · 4 min read

अनोखी दीपावली – कहानी

अनोखी दीपावली

राजेश चौहान जी शहर की एक सर्व सुविधायुक्त कॉलोनी में अपने परिवार के साथ रहते हैं | परिवार में माता – पिता के आलावा पत्नी सुधा भी है | दो छोटे – छोटे बच्चे हैं बेटी रश्मि और बेटा पुष्कर | रश्मि अभी कक्षा नवमीं और पुष्कर कक्षा सातवीं में पढ़ रहे हैं | घर में सभी प्रकार की सुख – सुविधाएँ मौजूद हैं | बच्चे अपने दादा – दादी के सानिध्य में संस्कारित हो रहे हैं और माता – पिता के सानिध्य में पढ़ाई और अन्य क्षेत्रों में ऊँचाइयों को छू रहे हैं |
राजेश के परिवार में संस्कारों पर विशेष ध्यान दिया जाता है | बच्चों में मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदना जागृत करने के लिए राजेश जी का पूरा परिवार विशेष प्रयास करता है |
दीपावली का त्यौहार नजदीक है | राजेश जी के घर सफाई का काम जोरों पर है | घर में सभी उत्साहित हैं | दीपावली कैसे मनाई जायेगी और क्या – क्या तैयारियां की जानी हैं इस पर चर्चा भी हो रही है | दोनों बच्चे रश्मि और पुष्कर एक ही स्कूल में पढ़ते हैं | दीपावली की छुट्टियों से पहले स्कूल में प्रार्थना स्थल पर बच्चे अपने – अपने विचार साझा कर रहे हैं | कार्यक्रम के अंत में स्कूल के प्राचार्य बच्चों को दीपावली की महत्ता बताते है और इस त्यौहार को किस तरह से मनाया जाए और इस त्यौहार से असीम शांति और ख़ुशी किस तरह से प्राप्त की जा सकती के बारे में बताते हैं |
रश्मि और पुष्कर स्कूल के बाद घर जाते हैं और अपने कमरे में बैठकर प्राचार्य द्वारा दी गयी सीख के बारे में चर्चा करते हैं और इस दीपावली पर कुछ नया करने की सोचते हैं | वे दोनों एक निर्णय पर पहुँचते हैं | शाम को कॉलोनी में गार्डन में वे कॉलोनी के और भी बच्चों को अपनी योजना के बारे में बताते हैं | सभी बहुत खुश होते हैं | घर जाकर सभी बच्चे अपने – अपने गुल्लक में कुल संगृहीत राशि की गणना करते हैं |
दीपावली के एक दिन पहले का दिन है | सभी बच्चे उत्साहित हैं | वे सभी अपने घर के बड़ों के साथ बाजार जाते हैं और अपनी पसंद की बहुत सी चीजें खरीदकर ले आते हैं | घर वाले पूछते भी हैं कि वे ये चीजें क्यों खरीद रहे हैं | पर वे कोई जवाब नहीं देते और सभी बच्चे शाम को कॉलोनी के कम्युनिटी हॉल में एकत्र होते है और सारी चीजें एक जगह एकत्रित करते है | कॉलोनी में किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा कि ये बच्चे क्या कर रहे हैं और क्या करना चाहते हैं |
दीपावली की सुबह सभी बच्चे अपने माता – पिता को शाम के समय कॉलोनी के पास की ही एक बस्ती जहां बहुत से गरीब परिवार रहते हैं वहां आने के लिए कहते है | साथ ही ये बच्चे अपने स्कूल के प्रिंसिपल सर जी को भी वहां आने के लिए निवेदन करते हैं | शाम का समय है सभी बच्चे अपने – अपने माता – पिता और घर के अन्य सदस्यों के साथ और अपने – अपने सामान के साथ बस्ती पहुँच जाते हैं | स्कूल के प्रिंसिपल भी वहां पहुँच जाते हैं | बस्ती में वे सभी गरीब बच्चों को मिठाई , पटाखे , कपड़े , दीये , तेल और अन्य सामग्री बांटते हैं इस काम में इन बच्चों के माता – पिता , घर के अन्य सदस्य , प्रिंसिपल सभी हिस्सा लेते हैं | बच्चों के चहरे पर ख़ुशी देख सभी खुश होते हैं और बस्ती के बच्चे अपनी बस्ती में नन्हे फरिश्तों को देखकर बहुत खुश होते है | इतनी अच्छी और सुन्दर दीपावली उन्होंने पहली बार मनाई | सभी खुश हैं कि इन छोटे – छोटे बच्चों ने दीपावली का सही अर्थ समझ लिया है और जीवन में ये इसी पथ पर चलें ये हम सबकी शुभकामना है |
सभी बड़े , बच्चों से इस नेक कार्य के बारे में पूछते हैं कि उन्हें किसने प्रेरित किया | बच्चे कहते हैं कि उनके स्कूल के प्रिंसिपल सर जी ने उन्हें बताया कि दीपावली का अर्थ यह है कि हम अपने मन में ऐसी रोशनी जगाएं जिससे दूसरों के घर में रोशनी कर सकें | स्वयं के लिए तो सभी जीते हैं परन्तु जो दूसरों के लिए जीते हैं वे ही सही मायनों में जीवन का अर्थ समझते हैं | हमने एक छोटा सा प्रयास किया है | हमें नहीं मालूम कि हम कहाँ तक सफल हुए | आज हमने दीपावली का सही अर्थ समझ लिया |
प्रिंसिपल सर और सभी बच्चों के इस उत्तम कार्य की सराहना करते हैं | स्कूल के प्रिंसिपल सर भी बच्चों को स्कूल की ओर से सम्मानित करते हैं | कॉलोनी की परिवार कल्याण समिति भी बच्चों को सम्मानित करती है | सभी बच्चे भविष्य में भी इसी तरह से नेकी के कार्य करते रहने की शपथ लेते हैं और ख़ुशी – ख़ुशी दीपावली का आनंद उठाते है |

मौलिक रचना / कहानी
सर्व अधिकार सुरक्षित
अनिल कुमार गुप्ता अंजुम
डेरा बस्सी मोहाली पंजाब

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