-अनोखा वार्तालाप
फ़ुरसत के समय……….
मेरे मन ने मेरे दिल से मुस्कराकर पूछा,
दिल तू क्यो इतना उदास है?
सब कुछ तो तेरे पास है,
दिल ने मन को मुस्कराकर देख….
अपनी बनावटी रक्त हंसी से बोला….
मन मेरी उदासी का राज भी तुम हो
मन तुम चंचल हो……
तुम्हारी ख्वाईश की सीमा ही नहीं…
जितनी पूरी होती उतनी बढ़ती जाती….
पूरी न होती तो….तेरी बैचैनी बढ़ जाती……
देखकर चित्त बैचेन मेरी उदासी उभर आती…..
मन सच्चाई को सुन….
दिल से कहने लगा….
तुम्हारी बात सोआने सही है…
तुमने भी क्या बात कही है…..
नियंत्रण हो मन का तो , उदासी का क्या काम !!
संतोषी जीवन अपनाकर,गुजारे हर दिन की शाम !!
– सीमा गुप्ता