अनोखा देश है मेरा , अनोखी रीत है इसकी।
अनोखा देश है मेरा , अनोखी रीत है इसकी।
बनाया दास था जिसने, उसी से प्रीत है इसकी।
हमें बंधक बनाकर जो, गिराती गाज थी हम पर,
वही बोली वही भाषा, अभी भी मीत है इसकी।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद
अनोखा देश है मेरा , अनोखी रीत है इसकी।
बनाया दास था जिसने, उसी से प्रीत है इसकी।
हमें बंधक बनाकर जो, गिराती गाज थी हम पर,
वही बोली वही भाषा, अभी भी मीत है इसकी।
© सीमा अग्रवाल
मुरादाबाद