अनोखा उत्सव
रेड लाइट जोन से निकलते ही रवि हाइवे पर बहुत बड़े जाम में फंस गया था। पों-पों, पीं-पीं के शोरगुल ने कान फोड़ दिए थे। रवि को घर पहुँचने की जितनी जल्दी थी, वह उतना ही लेट होता जा रहा था। चाह कर भी उसकी गाड़ी टस से मस नहीं हो पा रही थी।पूछने पर पता चला कि भीषण दुर्घटना के कारण रास्ता जाम किया गया है। उसकी गाड़ी के आगे और पीछे गाड़ियों की लंबी कतार थी। वह हाॅर्न बजा-बजा कर थक चुका था। परंतु समस्या का कोई हल नहीं निकल पा रहा था। रवि को बड़ा गुस्सा आ रहा था। घर की सजावट से लेकर फल, मिठाई और बम-पटाखे सारा सामान उसकी गाड़ी में था। फोन की बैटरी भी जवाब दे गई थी। वह चाह कर भी कुछ नहीं कर पा रहा था। जाम खुलने का इंतज़ार करने के सिवाय अब उसके पास कोई चारा नहीं था। उसने किसी से मोबाइल लेकर अपनी माँ को वस्तुस्थिति से अवगत करवा दिया था।
जाम खुलते-खुलते शाम हो गई थी। वह मायूस सा तीव्र गति से गाड़ी को दौड़ाता हुआ घर पहुँचा। जैसे ही वह घर के दरवाजे पर पहुँचा, रंग-बिरंगी लाइटों की रोशनी से घर चमचमा रहा था। घर के अंदर जाकर देखा तो घर की सजावट करीने से की गई थी। फल तथा मिठाई पूजा घर में रखे थे। बच्चे मस्ती में बम-पटाखे फोड़ रहे थे। रवि को घर आया देख सभी उसकी पास आए और एक स्वर में बोले-‘हैप्पी दीपावली।’ उसे समझते देर नहीं लगी कि यह सब उसके चेन्नई वाले मामा का कमाल है। ऐसा अनोखा उत्सव देखकर वह हैरान भी था और प्रसन्न भी। वह जाम के कारण हुई परेशानी को भुलाकर दीपावली-उत्सव के रंग में रंग गया।
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’