अनैतिकता से कौन बचाये
#दिनांक:-19/3/2024
#शीर्षक:-अनैतिकता से कौन बचाये।
भटकते हम रास्ते,
रास्ता सही कौन दिखाये?
कब हम गलत कब सही ,
आकलन कर कौन बताये?
हर काम के बदले,
कुछ चाहिए होता है ,
शामिल स्वार्थ हर रग में,
उम्र भर उम्मीद खाये होता है।
ल को द कौन सिखाए ,
हरिश्चंद्र घर-घर कौन लाये?
चिलचिलाती धूप की चुभन ,
बेवक्त वक्त का आकलन ।
धुन्ध से ढ़कता चमकता चमन,
दिखावट के अंध से अंधकार गगन।
मेहनत की गठरी कौन ढोये,
सही को सही कौन बताये।
कलयुग घनघोर असरदार,
भाई-भाई को रहा मार!
बाहुबलियों का गर्जन सच का तिरस्कार,
घूम रहा हवसी करता बलात्कार।
अनैतिकता से कौन बचाये,
झूठ के प्रति आवाज कौन उठाए ।
(स्वरचित, मौलिक)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति”
चेन्नई