अनूठी दुनिया
यह दुनिया बड़ी अनूठी
इसमें ना कोई है दुराय
निकृष्ट बनने पर तुले
हमने इस विचित्र सी
धरती पर जन्म लिया
यह सौभाग्य की बात
जन्म तो कोई भी लेता
पर हम में और उन में
है बहुत ही अंतर यहां
कुछ अच्छा ही करें…
ताकि याद करेगी भव।
इस कलित सी भुवन में
कोई न हो पाया अपना
दिखावे के लिए तो
सब कहते हैं मैं तो मैं
आपका अपना ही हूं
पर न होता अपना
सबमें छिपी होती
स्वार्थ की भावना
हमसबों को देश में ही
नहीं, अनूठी सी दुनिया में
अपना परचम फहरा कर
इस मिट्टी में मिल जाना है।