अनुशासन
अनुशासन
बहुत ही महत्व है कहीं पर अनुशासन का !
बिन इसके कोई मोल नहीं इस जीवन का !
बचपन से ही सदा सीख यही लेता आया हूॅं !
बड़ो का आशीर्वाद भी प्राप्त करता आया हूॅं!!
शिष्ट आचरण हमें विनम्रता प्रदान करता है !
यह तत्व ही लोगों का मन मोहित करता है !
नित नियमानुसार चलने को प्रेरित करता है !
जीवन में सबको साथ लेकर सदा चलता है!!
सर्वप्रथम घर से ही अनुशासन की शुरुआत होती !
माता-पिता से ही बच्चों को जीवन की राह मिलती !
तो सबसे पहले हम दुरुस्त करें घर की ये पाठशाला !
छोटे बच्चों को सिखाते चलें जीवन जीने की कला !!
अनुशासन ही हमें संस्कार से सुसंस्कृत बनाता है !
समाज में उठना बैठना चलना फिरना सिखाता है !
असमय किसी का कोपभाजन बनने से बचाता है !
अटूट राष्ट्रीय एकता से शक्ति का अहसास कराता है!!
कोई अर्थ नहीं इस जीवन का अनुशासन के बिना !
ठीक वैसे ही जैसे किसी पेड़ का फले फल के बिना !
संग अनुशासन के चलें तो चूम लें हम ये आसमाॅं !
आचरण ऐसा हो कि मिल जाए हर जगह रहनुमा !!
नियमों का अनुपालन अपने अपने क्षेत्र में करेंगे !
तो चारों दिशाओं में हम सब नित आगे ही बढ़ेंगे !
अपनी एक ख़ास पहचान दुनिया में बना पाएंगे !
त्याग कर जिसे खुद तक ही सिमटके रह जाएंगे!!
जब प्राकृतिक वस्तुएं भी नियमों का पालन करती हैं !
पृथ्वी नित्य नियमबद्ध होकर अपनी धुरी पे घूमती है !
जब सूरज और चाॅंद नियत समय से उगते व डूबते हैं !
दिन और रात भी सदैव नियमों के अनुरूप ही होते हैैं!!
जाड़ा,गरमी व बरसात सदा समय पर आया करते हैं !
पेड़-पौधे,पशु-पक्षी भी अनुशासित जीवन ही जीते हैं !
तो कर्त्तव्य पथ पर इंसान भी सदाचरण क्यों ना करे ?
आचार-व्यवहार से कायम इक मिसाल क्यों ना करें??
आज ये प्रण लें कि हर काम ही नियमों के अधीन करें!!
अजित कुमार कर्ण
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