अनुरोध सोलह/सतरह से
नमन करहिं नव बरस कहिं,अउर करहिं अनुरोध,
सतरह तिहरे शासन हिं ,धन नहि करहिं अबोध।(१)
बुरी गयी सोलह सदी ,छिने छिपे
सब नोट ,
देखब कइसन चुनावाँ ,खरीदहिं
मनइ वोट ।(२)
मुँह कहिं आवा जिगरवा,झुलसत
लखि प्रिय नोट,
मनहुँ समझ यहि आ गवा,रहब
कमाई खोट।(३)
सोलह समुझा दीजिवो ,सतरह कहिं
तुम यार,
तिहरे शासन ना पड़े,करिया धन
नहिं मार ।(४)
सुखद सुधन हर घर भरे,हर घर
होवे मौज,
गँगुआ तिलिया नहिं दिखे ,हो बस
राजा भोज।(५)