अनुमान क्यों लिक्खूं।
मुझे मालूम है सच तो भला अनुमान क्यों लिक्खूँ।
मैं पूँजीवाद का झूठा बता गुणगान क्यों लिक्खूँ।
गरीबी भूख लाचारी अभी जिंदा है’ भारत में।
बता बापू ते’रे सपनों का’ हिंदुस्तान क्यों लिक्खूँ।।
प्रदीप कुमार “प्रदीप”
मुझे मालूम है सच तो भला अनुमान क्यों लिक्खूँ।
मैं पूँजीवाद का झूठा बता गुणगान क्यों लिक्खूँ।
गरीबी भूख लाचारी अभी जिंदा है’ भारत में।
बता बापू ते’रे सपनों का’ हिंदुस्तान क्यों लिक्खूँ।।
प्रदीप कुमार “प्रदीप”