अनुभूति
मन के बँधे हुए रिश्तों में हानि लाभ की बात नहीं है ।
भेदभाव से भरे हुए रिश्ते सुख की सौगात नहीं है ।।
यूँ तो मेघ उमड़ते रहते हैं सावन के महीने में ।
नीरसता के वाहक हैं उनसे जब तक बरसात नहीं है ।।
रंग और खुशबू वाले ही फूल कीमती होते हैं ।
गीत अधूरे रह जाते हैं जब दिल में जज्बात नहीं है ।।
जिनने सारी रात जागकर कई पोथियां पढ़ डाली हैं ।
ऐंसा पढ़ना व्यर्थ है जिसका सार ही मालूमात नहीं है ।।
धन के पुजारी बन के जिनने ऊंचे ऊंचे महल बनाये ।
सुख से एक न रोटी खाते चैन जिन्हें दिन रात नहीं है ।।