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21 May 2020 · 1 min read

अनुभूति

मन के बँधे हुए रिश्तों में हानि लाभ की बात नहीं है ।
भेदभाव से भरे हुए रिश्ते सुख की सौगात नहीं है ।।

यूँ तो मेघ उमड़ते रहते हैं सावन के महीने में ।
नीरसता के वाहक हैं उनसे जब तक बरसात नहीं है ।।

रंग और खुशबू वाले ही फूल कीमती होते हैं ।
गीत अधूरे रह जाते हैं जब दिल में जज्बात नहीं है ।।

जिनने सारी रात जागकर कई पोथियां पढ़ डाली हैं ।
ऐंसा पढ़ना व्यर्थ है जिसका सार ही मालूमात नहीं है ।।

धन के पुजारी बन के जिनने ऊंचे ऊंचे महल बनाये ।
सुख से एक न रोटी खाते चैन जिन्हें दिन रात नहीं है ।।

1 Like · 1 Comment · 245 Views
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