अनुप्रास अलंकार युक्त दोहे
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मदमाती मनमोहनी, मनहर मोहक रूप।
मृगनयनी मायावती, मुस्काती मुख धूप।। १
सुखद सुगंधित सुमन सम, सृष्टि सृजक श्रृंगार।
सरल समर्पित स्नेह से, सुखद सुधा संसार।। २
महुआ मादकता भरा, मधुकर मदिर सुगंध।
प्रेम पथिक प्यासा फिरे, प्रिय पागल प्रेमांध।। ३
सुरसरि शंकर सिर सजे, शोभा सुमन समान।
सेवत संतनजन सदा, सुमिरत सकल जहान।। ४
बातूनी हर बात पर, कितनी बात बनाय।
बात-बात में बात को, देती है उलझाय।। ५
सत्य समर संग्राम सम, स्वयं सका जो जीत।
साहस सौरभ शोभता,सुखमय स्वर संगीत।। ६
शर सम शासन शिशिर का,सर्द सिसकती रात।
सहम सूर्य शशि सा सजे, सिकुड़ा सिमटा गात।। ७
सत्य शांति संकल्प से, सफल सुखद हो साल।
स्नेह सुमन सपना शगुन, सजे सृजन के डाल।।८
मद मादक मदमस्त सा,घुला साँस में इत्र।
मन मन्दिर महका गया, मोहक मनहर मित्र।।९
माधव,मधुसूदन,मदन,मनमोहन,घनश्याम।
कितने तेरे रूप हैं ,कितने तेरे नाम।।१०
जी भर कर आशीष दे, हे नव प्रथम प्रभात।
सभी स्वस्थ सुखमय रहें, शुभ सुन्दर सौगात।। १ १
माँ वरदा वरदायिनी, विमल विश्व विस्तार।
वाणी वीणा वादिनी, विदुषी वेद प्रचार।। १ १
माँ सरस्वती शारदे, सुभग साज श्रृंगार।
सहज-सरल सुरमोदिनी, स्वर सरिता सुख सार।।१ २
? ? ? ? -लक्ष्मी सिंह ? ☺