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19 Aug 2017 · 1 min read

अनुप्रास अलंकार

सादर प्रेषित

हर पल घटता झीना झरना सम, जीवन जल है।
शनै:शनै: कम होती आयु,त्वम जीवन छल है।
रह रह रतिभ्रम में मानव हृदय विकल विह्लल है ।
सरल सोम्य सहज सजग सतपथ लो अपना,
सत्य सद्भाव से संवरता सफल सुफल है।
उन्मत्त ऊर्जस्वित ऊर्जा उर, उम्र कुछ पल है।
क्यों रक्तचाप रक्तधमनियां रहती प्रबल हैं।
क्षमा क्षय क्षितिज,विकट विकल है
हर्ष हार्दिक, हंसी से हासिल हर हल है ।
आदम अदम अद्भुत आदरणीय आम आदमी
हृदय हिय हित हरित स्थित स्नेह अचल अटल है।
प्रेममय पाश पुष्प पलाश नीलम हृदय तल है।
नदी नहर नर्मदा निर्मल निश्चित निश्च्छल है।
वाह विश्व विशाल वह विरह वेदना से विमल है।
प्रिय प्रेयसी प्रेषित प्रीत प्रेम अति विशिष्ट पल है।
नीलम शर्मा

Language: Hindi
1 Like · 2505 Views
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