अनुत्तरित
जब कभी कुछ सोचती हूँ
जब कभी कुछ सोचती हूँ
मन के एक कोने में
सुगबुगाहट –सी होती है
क्यों सीता शक्तिशाली थी,
तब भी रावण हर ले गया।
दूसरों की कर सकती थीं रक्षा,
खुद की नहीं कर पाई सुरक्षा।
द्रौपदी राजा द्रुपद की
शक्तिशाली, गौरवशाली पुत्री थीं,
परंतु प्रथा के सामने उसने
क्यों टेक दिये थे घुटने।
जब कभी कुछ सोचती हूँ
जब कभी कुछ सोचती हूँ
मन के एक कोने में
सुगबुगाहट –सी होती है
क्यों अपनों को हम खोते हैं,
क्यों लोगों के जीवन में काँटे बोते हैं।
ऐसे अंतहीन अनुत्तरित प्रश्न
रहते हैं मन के कोने में
जब कभी कुछ सोचती हूँ
मन के एक कोने में
सुगबुगाहट –सी होती है।
– मीरा ठाकुर