अना दिलों में सभी के….
अना दिलों में सभी के यहाँ बराबर है,
जिधर भी देखिए,दिखता हसद का मंज़र है।।
तू अपने आप से कमतर समझ रहा जिसको,
नज़र में और किसी की वो तुझसे बेहतर है।।
मुझे अकेला समझने की भूल मत करना,
मेरे करीब तुम्हारे ग़मों का लश्कर है।।
अज़ाब देता है दरियादिली दिखाकर वो,
सितम से उसके बचा कोई भी नहीं घर है।।
तुम्हें गुरूर है किस बात का ज़रा सोचो,
कहीं से भी तो न कम तुमसे अपना तेवर है।।
जो खा के बैठा हुआ है शिकस्त प्यादों से,
उसे लगे है कि वह आज का सिकन्दर है।।
छलक सके न उधर “अश्क” भी निदामत के,
लहूलुहान इधर आँख का समन्दर है।।
© अश्क चिरैयाकोटी
दि०:18/07/2022