अनमोल घड़ी
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मेल-मिलाप की
घड़ी है आज।
एक उत्साह की
लड़ी है आज।।
उस नेक-नेता पर
हमको है नाज।
आओं!”जयंती”उसकी
मनाते है आज।।
उस इन्दिरा की
जयंती है आज।
जिसका अर्ध है काज!
पर इन्दिरा नहीं है आज।।
आओं! शपथ ले–
हम भारतवासी आज।
इन्दिरा का पूर्ण करें काज!
हैं अनमोल घड़ी आज।।
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रचयिता: प्रभुदयाल रानीवाल
===*उज्जैन*{मध्यप्रदेश}*===
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