अनमोल है बेटियां…(कवि-पियुष राज)
अनमोल है बेटियां
अगर बेटे हीरा है तो
हीरे की खान है बेटियां
अपने घर-गांव-देश की
पहचान है बेटियां
अगर बेटे सूरज है तो
गंगा की अविरल धारा है बेटियां
अगर बेटे आसमान है तो
उस आसमान में चमकता
सितारा है बेटियां
उनसे ही तो है
हमारी हर ख़ुशी
वे नही देख सकती
हमे कभी दुखी
जब माँ ना हो घर पर
तो उनकी सारी जिम्मेदारी
उठाती है बेटियां
बेटे तो कह देते है
होटल में खा लेना पापा
पर अपने पिता-भाई के लिए
गरम-गरम खाना बनाती है बेटियां
अपने प्यारी बिटिया के मत काटो पंख
उसमे भी होती है जान
उसे भी आगे बढ़ने दो
और बनाने दो अपनी अलग पहचान
अपने माँ-बाप का घर छोड़कर
दूसरे का घर बसाती है बेटियां
दो घरों को जोड़कर
अपना फ़र्ज़ निभाती है बेटियां
खुद सारे दुःख सहकर भी
मुस्कुराती है बेटियां
अगर ना समझो बेटी की कीमत
तो उनसे जाकर पूछो
जिनके घर नही होती है बेटियां….
पियुष राज