कोरोना पर हल्ला बोल
हल्ला बोल का नाम अनोखा, मिला हमें था काम अनोखा।
जहां सभी की हट जाती थी, हल्ला बोल वहां डट जाती थी।।
इसने कभी ना डरना सीखा, मौत से पहले ना मरना सिखा।
मिला लक्ष्य जो इसे कभी भी, बिना करे ना रुकना सीखा।।
हल्ला बोल का नाम अनोखा, मिला हमें था काम अनोखा।
कोरोना से लड़ने की, कसम हमीने खाई थी।।
सेवादल में सेवक बनकर, सबका जोश जगाया था।
आत्मशक्ति तब जागी अपनी, दिल में उमंग भी आई थी।।
हल्ला बोल का नाम अनोखा, मिला हमें था काम अनोखा।
कोरोना से लड़ना कैसे, सबको ये बतलाया था।।
आत्मविश्वास जगाना पहले, सबको ये सिखलाया था।
घबराके मरने से बेहतर, लड़कर इसे भगाया था।।
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“ललकार भारद्वाज”