अनमोल राखियाँ
नीली राखियाँ, पीली राखियाँ
भावनाओं से भीगी, गीली राखियाँ
बरसों की यादों से, सीली राखियाँ
रिश्तों को करती रोशन, जैसे हो माचिस की तीली राखियाँ
दूरियों को नज़दीकियों में बदलती राखियाँ
बिना चले ही मीलों चलती राखियाँ
जिनकी होती किस्मत उनको मिलती राखियाँ
कभी लड़ते कभी रूठते , प्यारे रिश्तों को संभालती राखियाँ
इधर राखियाँ उधर राखियाँ
सभी गलियों में रौशन, सजी राखियाँ
भाईयों की कलाई पर, बँधी राखियाँ
बहनों की हथेली पर, मेहंदी बन रची राखियाँ
हाथों से दिल तक जाती राखियाँ
सारे मनमुटावों को भुलाती राखियाँ
रिश्तों का एहसास दिलाती राखियाँ
कभी हँसाती तो कभी, रुलाती राखियाँ
कभी भीगी पलकों, सुलाती राखियाँ
सच कमाल है, ये राखियाँ
दुनियाँ में एक मिसाल है, ये राखियाँ
रिश्तों का गुलाल है, ये राखियाँ
मीठी नोंकझोंक की, ताल है ये राखियाँ
रिश्तों की पतंग बन, डोलती राखियाँ
बिन बोले ही कितना कुछ, बोलती राखियाँ
भाई बहन के दिलों को, टटोलती राखियाँ
अपनेपन का राज़, खोलती राखियाँ
दुनियां में हर चीज़ का, मोल होता है मगर,
बिक कर भी अनमोल, हो जाती हैं राखियाँ
-Karuna verma (kushi)