“अनमोल तोहफा “
प्रिया की राज़ से शादी हुए 5 साल हो चुके थे और अब प्रिया के ससुराल वाले भी दोनो को अपना चुके थे तो दोनो किराये का घर छोड़कर अब राज के मम्मी पापा के यहाँ रहने आ गये l
राखी को कुछ ही दिन रह गये थे और प्रिया की ननद मायके आ चुकी थी, प्रिया के ससुर जी ने उसकी तीनो ननदो को पैसे दिये और कहा ” जाओ बेटा अपनी पसंद की अच्छी सी साड़ी ले आओ और पैसे की बिलकुल भी चिंता मत करना, जो पसंद हो वही लेना ” उसके बाद तीनो राज के साथ जाकर अपनी पसंद की साड़ी ले आती है और आकर प्रिया को दिखाती है और उसकी एक ननद ज़िसका नाम चित्रा था उस से कहती है ” देखो भाभी अभी हमने तोहफा लिया है दीपावली पर आप साड़ी ले लेना ” और प्रिया चित्रा से कहती है ” जी बिलकुल ” और दोनो हसने लगती है l
कुछ देर बाद राज प्रिया के पास आता है और प्रिया से कहता है “पापा ये नही कह सकते थे की बहु के लिए भी साड़ी ले लेना ”
प्रिया राज को समझाते हुए कहती है की ” अरे ! ये त्योहार बेटियो का होता है , मैं दिपावली पर साड़ी ले लूँगी ”
अब राखी का दिन भी आ जाता है राज को उसकी बहने राखी बाधती है और प्रिया की सास भी उनके मायके जाती है राखी का त्योहार मनाने l
अगले दिन प्रिया की सास उसके पास आती है और एक साड़ी देकर कहती है ” देखो बहु ये साड़ी तुम रख लो इसमे सुन्दर सुन्दर फूल पत्ती बने हैं ,तुम पर रंग भी जचेगा ”
प्रिया साड़ी रख लेती हैं l
राज आकर प्रिया से कहता है ” ज़रुरत क्या थी तुम्हे ये साड़ी लेने की, इसकी कीमत 100 रुपये से ज्यादा नही है ये मेरे मामा ने मम्मी को दी थी कल के दिन”
प्रिया ने कहा ” उन्होने इतना कहा तो मेने ले ली ”
राज ने प्रिया को समझाते हुए कहा देखो ” सबने 4 से 5 हजार की साड़ी ली है और वहा छोटी सी जगह मे ऐसी ही साड़िया मिलती है, अब ये क्या अच्छा लगेगा तुम 100 रुपये वाली साड़ी
पहनो और मेरी बहने 4 से 5 हजार वाली ये मुझे अच्छा नही लगेगा ”
प्रिया राज से कहती है ” तोहफा तोहफा होता है कीमत नही देखी जाती, और मम्मी जी ने पहली बार तो मुझे कुछ दिया है ”
राज कुछ नही कहता और वहा से चले जाता है शाम को जब वो आता है तो प्रिया के लिए बहुत सुन्दर साड़ी लेते हुए आता है और प्रिया को दिखता है ” इसकी क्या ज़रुरत थी राज ” प्रिया कहती है
“तुम ये तीज पर पहन लेना ” राज का जवाब था l
कुछ दिनो बाद तीज आती है प्रिया नहाकर निकलती है तो उसकी सास आकर कहती है ” बहु वही साड़ी पहन लेना,जो मेने दी थी ”
और प्रिया सज धजकर आती है तो राज हैरान रहता है और कहता है ” तुमने ये साड़ी क्यो पहन ली,मैं लाया था वो पहनती ”
“वो मैं करवा चौथ पर पहन लूँगी ” प्रिया ने कहा l
तीज की बहुत फोटो ली प्रिया ने उसको अच्छा लगता था सज धजकर अपनी फोटो लेना l
एक दिन वो उसने पेपर मे पढ़ा एक प्रतियोगिता थी ज़िसमे करवा
चौथ की अपनी कहानी और अपनी साड़ी मे एक फोटो भेजनी थी l
प्रिया ने उस प्रतियोगिता मे हिस्सा लिया,कुछ दिनो बाद प्रिया की फोटो उसकी कहानी के साथी पेपर मे आई थी और ये सब देखकर राज बहुत खुश था की प्रिया की कहानी को पेपर मे जगह मिली,उसके और प्रिया के पास उनकी जान पहचान वालो के फ़ोन भी आये सबने प्रिया की कहानी और उसकी फोटो की तारीफ की
प्रिया सच मे उस फोटो मे बहुत खूबसूरत लग रही थी और राज ने भी तारीफ की तो प्रिया ने कहा ” देखो मम्मी की दिया हुआ पहला तोहफा यादगार बन गया, इसलिये तोहफे की कीमत नही देने वाले का प्यार देखना चाहिए ”
अब राज भी सब कुछ समझ चुका था की बच्चो के लिए माँ पिता का आशीर्वाद ही सब कुछ होता है l
प्रिया ने भी उस पेपर को अपने पास सभाल कर रख लिया,
आखिरकार ये उसकी सास का पहला और अमुल्य तोहफा था l