Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
1 Jul 2021 · 3 min read

“अनमोल तोहफा “

प्रिया की राज़ से शादी हुए 5 साल हो चुके थे और अब प्रिया के ससुराल वाले भी दोनो को अपना चुके थे तो दोनो किराये का घर छोड़कर अब राज के मम्मी पापा के यहाँ रहने आ गये l
राखी को कुछ ही दिन रह गये थे और प्रिया की ननद मायके आ चुकी थी, प्रिया के ससुर जी ने उसकी तीनो ननदो को पैसे दिये और कहा ” जाओ बेटा अपनी पसंद की अच्छी सी साड़ी ले आओ और पैसे की बिलकुल भी चिंता मत करना, जो पसंद हो वही लेना ” उसके बाद तीनो राज के साथ जाकर अपनी पसंद की साड़ी ले आती है और आकर प्रिया को दिखाती है और उसकी एक ननद ज़िसका नाम चित्रा था उस से कहती है ” देखो भाभी अभी हमने तोहफा लिया है दीपावली पर आप साड़ी ले लेना ” और प्रिया चित्रा से कहती है ” जी बिलकुल ” और दोनो हसने लगती है l
कुछ देर बाद राज प्रिया के पास आता है और प्रिया से कहता है “पापा ये नही कह सकते थे की बहु के लिए भी साड़ी ले लेना ”
प्रिया राज को समझाते हुए कहती है की ” अरे ! ये त्योहार बेटियो का होता है , मैं दिपावली पर साड़ी ले लूँगी ”
अब राखी का दिन भी आ जाता है राज को उसकी बहने राखी बाधती है और प्रिया की सास भी उनके मायके जाती है राखी का त्योहार मनाने l
अगले दिन प्रिया की सास उसके पास आती है और एक साड़ी देकर कहती है ” देखो बहु ये साड़ी तुम रख लो इसमे सुन्दर सुन्दर फूल पत्ती बने हैं ,तुम पर रंग भी जचेगा ”
प्रिया साड़ी रख लेती हैं l
राज आकर प्रिया से कहता है ” ज़रुरत क्या थी तुम्हे ये साड़ी लेने की, इसकी कीमत 100 रुपये से ज्यादा नही है ये मेरे मामा ने मम्मी को दी थी कल के दिन”
प्रिया ने कहा ” उन्होने इतना कहा तो मेने ले ली ”
राज ने प्रिया को समझाते हुए कहा देखो ” सबने 4 से 5 हजार की साड़ी ली है और वहा छोटी सी जगह मे ऐसी ही साड़िया मिलती है, अब ये क्या अच्छा लगेगा तुम 100 रुपये वाली साड़ी
पहनो और मेरी बहने 4 से 5 हजार वाली ये मुझे अच्छा नही लगेगा ”
प्रिया राज से कहती है ” तोहफा तोहफा होता है कीमत नही देखी जाती, और मम्मी जी ने पहली बार तो मुझे कुछ दिया है ”
राज कुछ नही कहता और वहा से चले जाता है शाम को जब वो आता है तो प्रिया के लिए बहुत सुन्दर साड़ी लेते हुए आता है और प्रिया को दिखता है ” इसकी क्या ज़रुरत थी राज ” प्रिया कहती है
“तुम ये तीज पर पहन लेना ” राज का जवाब था l
कुछ दिनो बाद तीज आती है प्रिया नहाकर निकलती है तो उसकी सास आकर कहती है ” बहु वही साड़ी पहन लेना,जो मेने दी थी ”
और प्रिया सज धजकर आती है तो राज हैरान रहता है और कहता है ” तुमने ये साड़ी क्यो पहन ली,मैं लाया था वो पहनती ”
“वो मैं करवा चौथ पर पहन लूँगी ” प्रिया ने कहा l
तीज की बहुत फोटो ली प्रिया ने उसको अच्छा लगता था सज धजकर अपनी फोटो लेना l
एक दिन वो उसने पेपर मे पढ़ा एक प्रतियोगिता थी ज़िसमे करवा
चौथ की अपनी कहानी और अपनी साड़ी मे एक फोटो भेजनी थी l
प्रिया ने उस प्रतियोगिता मे हिस्सा लिया,कुछ दिनो बाद प्रिया की फोटो उसकी कहानी के साथी पेपर मे आई थी और ये सब देखकर राज बहुत खुश था की प्रिया की कहानी को पेपर मे जगह मिली,उसके और प्रिया के पास उनकी जान पहचान वालो के फ़ोन भी आये सबने प्रिया की कहानी और उसकी फोटो की तारीफ की
प्रिया सच मे उस फोटो मे बहुत खूबसूरत लग रही थी और राज ने भी तारीफ की तो प्रिया ने कहा ” देखो मम्मी की दिया हुआ पहला तोहफा यादगार बन गया, इसलिये तोहफे की कीमत नही देने वाले का प्यार देखना चाहिए ”
अब राज भी सब कुछ समझ चुका था की बच्चो के लिए माँ पिता का आशीर्वाद ही सब कुछ होता है l
प्रिया ने भी उस पेपर को अपने पास सभाल कर रख लिया,
आखिरकार ये उसकी सास का पहला और अमुल्य तोहफा था l

1 Like · 5 Comments · 628 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
थोड़ा पैसा कमाने के लिए दूर क्या निकले पास वाले दूर हो गये l
थोड़ा पैसा कमाने के लिए दूर क्या निकले पास वाले दूर हो गये l
Ranjeet kumar patre
खुशनसीब
खुशनसीब
Bodhisatva kastooriya
चक्रवृद्धि प्यार में
चक्रवृद्धि प्यार में
Pratibha Pandey
दोहे
दोहे
अशोक कुमार ढोरिया
तुम और बिंदी
तुम और बिंदी
Awadhesh Singh
मुक्तक
मुक्तक
Neelofar Khan
मैने कभी बेहतर की तलाश नही की,
मैने कभी बेहतर की तलाश नही की,
Mukul Koushik
नई नसल की फसल
नई नसल की फसल
विजय कुमार अग्रवाल
मेरे सपने
मेरे सपने
Saraswati Bajpai
4525.*पूर्णिका*
4525.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
" इश्तिहार "
Dr. Kishan tandon kranti
Watch who is there for you even when the birds have gone sil
Watch who is there for you even when the birds have gone sil
पूर्वार्थ
ज़िंदा रहने से तो बेहतर है कि अपनें सपनों
ज़िंदा रहने से तो बेहतर है कि अपनें सपनों
Sonam Puneet Dubey
जब सारे फूल ! एक-एक कर झर जाएँगे तुम्हारे जीवन से पतझर की बे
जब सारे फूल ! एक-एक कर झर जाएँगे तुम्हारे जीवन से पतझर की बे
Shubham Pandey (S P)
*तरबूज (बाल कविता)*
*तरबूज (बाल कविता)*
Ravi Prakash
ऐसे साथ की जरूरत
ऐसे साथ की जरूरत
Vandna Thakur
दोहा त्रयी. . . .
दोहा त्रयी. . . .
sushil sarna
..
..
*प्रणय*
रहे सीने से लिपटा शॉल पहरेदार बन उनके
रहे सीने से लिपटा शॉल पहरेदार बन उनके
Meenakshi Masoom
एक सत्य यह भी
एक सत्य यह भी
भवानी सिंह धानका 'भूधर'
" बोलती आँखें सदा "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
प्रेम अंधा होता है मां बाप नहीं
प्रेम अंधा होता है मां बाप नहीं
Manoj Mahato
वायु प्रदूषण रहित बनाओ
वायु प्रदूषण रहित बनाओ
Buddha Prakash
मैं तेरे गले का हार बनना चाहता हूं
मैं तेरे गले का हार बनना चाहता हूं
Keshav kishor Kumar
हर
हर "प्राण" है निलय छोड़ता
Atul "Krishn"
मुझ पे एहसान वो भी कर रहे हैं
मुझ पे एहसान वो भी कर रहे हैं
Shweta Soni
“मैं ठहरा हिन्दी माध्यम सा सरल ,
“मैं ठहरा हिन्दी माध्यम सा सरल ,
Neeraj kumar Soni
आंखें हमारी और दीदार आपका
आंखें हमारी और दीदार आपका
Surinder blackpen
संस्कारों को भूल रहे हैं
संस्कारों को भूल रहे हैं
VINOD CHAUHAN
आप जीवित इसलिए नही है की आपको एक दिन मरना है बल्कि आपको यह ज
आप जीवित इसलिए नही है की आपको एक दिन मरना है बल्कि आपको यह ज
Rj Anand Prajapati
Loading...