“ अनमने फेसबुक दोस्त “
डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
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दोस्त तो इस फेसबुक के रंगमंच पर अनेकों हैं पर बहुत थोड़े ही मित्र हैं जो दूसरे के करीब रहते हैं ! वैसे अनगिनत मित्रों से यदा -कदा फेसबुक के पन्नों पर दर्शन हो जाते हैं ! हम उनसे जुड़े तो हैं फिर भी हम व्याहवारिकता से जुड़ना चाहते हैं ! उनकी भंगिमाओं ,उनकी लेखनी ,उनके प्रिय तस्वीर ,उनके हॉबी ,इत्यादि के अवलोकन पश्चात सकारात्मक टिप्पणियाँ ,सकारात्मक समालोचना और कमेन्ट से सिक्त करते हैं ताकि उनके और अधिक करीब आ सकें !
पर उनकी बेरुखी हमें जुड़ने नहीं देती ! हम जब कभी उन्हें जन्म दिन की बधाई और शुभकामना लिख कर देते हैं ,उनके पुस्तक के विमोचन में दो चार शुभकामना के भेजते हैं ,उनकी प्रस्तुति पर लिखकर आभार व्यक्त करते हैं फिर भी उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता है ! वे अनमने फेसबुक दोस्त की तरह सिर्फ “ लाइक “ करके निकाल जाते हैं ! आब आप बताएं यह सिलसिला यदि चलता रहे तो हम एक दूसरे के करीब आ कैसे जाएंगे ?
तो यह स्पष्ट हो गया कि डिजिटल मित्रता की लड़ी में भी दो तरह के फूल हैं ! एक सुगंधित और दूसरा परिमलरहित ! परिमलरहित इन फेसबुक दोस्त को हम “ अनमने फेसबुक दोस्त “ की संज्ञा देते हैं ! अधिकांशतः एसे मित्रों की बाढ़ आ गई है ! मैसेंजर पर आप कुछ भी लिख दें ! यहाँ एक बात स्पष्ट करना चाहते हैं कि बेफजूल के पोस्टों की बात हम नहीं करते ! जो आज तक कोई दो शब्द लिख नहीं पाए वो लगातार ऊलजलूल ग्रुप से जुड़ने का निमंत्रण लगातार करते और भेजते रहते हैं ! आज के परिवेश में हर कोई इस यंत्र के माध्यम से लिखना जानता है ! बहाने “ अनमने दोस्त” ही बनाते हैं !
बस इन “ अनमने दोस्तों “ की तस्वीर को फेसबुक के संग्रहालय में रखकर उनका अभिनंदन करते रहते हैं और गौर से निहारते रहते हैं !
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डॉ लक्ष्मण झा”परिमल ”
साउंड हेल्थ क्लिनिक
नाग पथ
शिव पहाड़
दुमका
05. 12. 2021.