अनजान सफ़र
हर कोई चल रहा है यहां
है अनजान जाना है कहां
कब सफर खत्म हो जाए
अनजान है हर कोई यहां।।
है हौसला फिर भी सबको
एक दिन मंजिल मिल जायेगी हमें
कोई लंबा सफर तय करता है
कोई बीच सफर में छोड़ जाता है हमें।।
लिखाकर लाए है सब अपनी किस्मत
उसी के हिसाब से सब चल रहा है यहां
उस ऊपर वाले की मर्ज़ी के बिना तो
एक पत्ता तक नहीं हिलता है यहां।।
सोचते है हम सब खिलाड़ी खुद को
लेकिन खेल तो ऊपर वाला खेल रहा है
जब चाहता है अपनी मर्ज़ी से ही वो
हर किसी का सफ़र खत्म कर रहा है।।
सफ़र अनजान है हमारे लिए
लेकिन वो तो सबकुछ जान रहा है
नहीं जानता यहां पर कोई भी
अगला तीर किस पर तान रहा है।।
है क्या उसके मन में, नहीं जानता कोई
अपनी माया से नित नए अहसास दे रहा है
है मुश्किल अनुमान लगाना मनीषियों को भी
जो हमने सोचा भी नहीं, आज वो हो रहा है।।
लेकिन मानते है हम सभी इतना तो
है ये अनजान सफर, जिसमें वही तार रहा है
करते रहो दिल से स्मरण उसको भी
है वही खेवैया, जो हमारी नाव पार लगा रहा है।।