Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Jun 2019 · 1 min read

अनजानों से पहचान बना रही हूं मैं –

यूं ही नहीं जाता है कोई अनजानों के पास,
छोड़ कर अपनों का फैलाआंगन,
बनाने लग जाता है अपने हिस्से का सिर्फ एक अंगुल भर खुला आसमान।
वो आसमान जिसमें अपनापन लादा नहीं जाता,
खुद बखुद समर्पण से आता है।
आज के रिश्तों में सिर्फ़ बेवजह का तनाव ,
दर्द और छींटा कसी के साथ सिर्फ नफरत और होड़ का मैदान।
लेना चाहता है सब कुछ रिश्तों की परिभाषा बताकर,
भूल बैठा सब कुछ गरूर की एनक लगाकर।
रिश्तों में पनपने लगा है दिखावे का बीज,
विलुप्त होने लगा समर्पण, वात्सल्य और लगाव।
कहां से पाओगे बड़ों से प्यार का सावन,
जब पकड़ कर रखोगे अविश्वास का दामन।
छोड़ ही जाता है रिश्तों का आंगन,
बनाने लग जाता है अपरिचितों में अपनी पहचान।
यहां कोई अपेक्षा नहीं होती ,न ही भय सताता झूठे दिखावे का।
न तो लेना ,नहीं देना सब कुछ बिना उम्मीद के ही होता जाता है।
इसलिए आज मन दर्द भरे रिश्तों के मोह पाश से मुक्त होना चाहता है।
छोड़कर इन खून के रिश्तों को सिर्फ़ दोस्ती में बंध जाना चाहता है
रेखा उन्मुक्त हो उडें गगन में,फिर से बनाएं एक नयी पहचान।

Language: Hindi
1 Like · 274 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सफलता
सफलता
Paras Nath Jha
कुत्तज़िन्दगी / Musafir baithA
कुत्तज़िन्दगी / Musafir baithA
Dr MusafiR BaithA
चन्द्रमाँ
चन्द्रमाँ
Sarfaraz Ahmed Aasee
लोकशैली में तेवरी
लोकशैली में तेवरी
कवि रमेशराज
*यह चिड़ियाँ हैं मस्ती में जो, गाना गाया करती हैं【हिंदी गजल/
*यह चिड़ियाँ हैं मस्ती में जो, गाना गाया करती हैं【हिंदी गजल/
Ravi Prakash
2560.पूर्णिका
2560.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
छोटे गाँव का लड़का था मै और वो बड़े शहर वाली
छोटे गाँव का लड़का था मै और वो बड़े शहर वाली
The_dk_poetry
आस्था होने लगी अंधी है
आस्था होने लगी अंधी है
पूर्वार्थ
*जिंदगी के  हाथो वफ़ा मजबूर हुई*
*जिंदगी के हाथो वफ़ा मजबूर हुई*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस
Shekhar Chandra Mitra
गुब्बारा
गुब्बारा
लक्ष्मी सिंह
मैं मोहब्बत हूं
मैं मोहब्बत हूं
Ritu Asooja
"आत्म-निर्भरता"
*Author प्रणय प्रभात*
Girvi rakh ke khud ke ashiyano ko
Girvi rakh ke khud ke ashiyano ko
Sakshi Tripathi
🌺हे परम पिता हे परमेश्वर 🙏🏻
🌺हे परम पिता हे परमेश्वर 🙏🏻
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
दो कदम
दो कदम
Dr fauzia Naseem shad
ज्ञानी उभरे ज्ञान से,
ज्ञानी उभरे ज्ञान से,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
आशीर्वाद
आशीर्वाद
Dr Parveen Thakur
राम नाम अतिसुंदर पथ है।
राम नाम अतिसुंदर पथ है।
Vijay kumar Pandey
ले चल मुझे उस पार
ले चल मुझे उस पार
Satish Srijan
अचानक जब कभी मुझको हाँ तेरी याद आती है
अचानक जब कभी मुझको हाँ तेरी याद आती है
Johnny Ahmed 'क़ैस'
जो सच में प्रेम करते हैं,
जो सच में प्रेम करते हैं,
Dr. Man Mohan Krishna
गंतव्य में पीछे मुड़े, अब हमें स्वीकार नहीं
गंतव्य में पीछे मुड़े, अब हमें स्वीकार नहीं
Er.Navaneet R Shandily
देह माटी की 'नीलम' श्वासें सभी उधार हैं।
देह माटी की 'नीलम' श्वासें सभी उधार हैं।
Neelam Sharma
रक्षाबंधन
रक्षाबंधन
Pratibha Pandey
गुम लफ्ज़
गुम लफ्ज़
Akib Javed
💐Prodigy Love-46💐
💐Prodigy Love-46💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
जहाँ सूर्य की किरण हो वहीं प्रकाश होता है,
जहाँ सूर्य की किरण हो वहीं प्रकाश होता है,
Ranjeet kumar patre
"सुपारी"
Dr. Kishan tandon kranti
Loading...