अनकही बातें
काश ऐसा होता कि
तुम मेरे मन की बातें जान पाती
उनको सुन पाती मुझे जान पाती
किन किन से नहीं कही वो अनकही बातें
तुम्हारे नाम से तुम्हारी तस्वीर से
तुम्हारे मन से तुम्हारे चेहरे से
तुम्हारे कपड़ों से तुम्हारे बालों से
तुम्हारी यादों से
काश ऐसा होता कि
ये सब भी तुमसे कह पाते
कितने वादे कि तुम को लेकर इनसे
काश ऐसा होता कि
ये सभी तुमको एहसास करा पाते
इन अनकही बातों का
बहुत कुछ कहा तुम्हारे इंतज़ार से
जलती दोपहर से ढलती शाम से
होती रात से घनघोर अंधेरे से
उगते सूर्य से बीते और आते दिनों से
तड़पते दिल से बनते अटूट विश्वास से
काश ऐसा होता की
ये अनकही बाते कही हुई हो जाती