अनकही दिल की बातें ..
बेजुबानों से प्यार करने वाले किस्मत वाले होते है ,
मगर इन जैसी पवित्र आत्माओं को प्यार करने के लिए दिल चाहिए ।और यही दिल आज के इंसानों में नहीं है ,इंसान के लिए इंसान में दिल नहीं है तो
बेजुबानों के लिए कहां से आयेगा !
अजी ! उनकी मासूम आंखों से छलकते भावों को पढ़ने की लियाकत और फुर्सत आज के इंसानों के पास है कहां ! इंसान इंसान को ही समझ ले तो बड़ी बात है ।बेजुबानों की तो बात ही छोड़ो। कुछ बचे खुचे कोमल हृदय वाले इंसान अपनी कई अनकही दिल की बातें दिल में ही रखकर मर जाते है तो बेचारा पशु तो बोल ही नहीं सकता !उसे कौन समझेगा ?
ऐसा सुनते आए है की बेजुबानों की जुबान को ,
और सादा दिल ,भोले और शरीफ इंसानों की मन की बात परमात्मा समझ लेता है ।और वही जायदा बोलने वालों की आवाज़ बंद भी कर देता है । क्या यह सच है ?