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23 Sep 2020 · 1 min read

अनंदवर्धक छन्द

आनंदवर्धक छन्द, प्रथम प्रयास
2122 2122 212

मिल रहे हैं ग़म मुझे प्यार से।
बढ़ रहीं हैं दूरियां अब यार से।।
यार बिन अब जिंदगी बेकार हैं।
इस तरह जीना लगे दुश्वार है।।

मालुम नही क्या खता मुझसे हुई।
इस तरह वो आज है रूठी हुई।।
नाज करता था उसी पर मैं सदा।
चल दिये है आज वो कह कर विदा।।

-अभिनव मिश्र✍️✍️

Language: Hindi
392 Views
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