अनंत यात्रा
अनंत यात्रा
एक यात्रा अनंत की ओर,
लक्ष्य की ओर या मोक्ष की ओर
चल रहे हैं जीवन पथ पर
पथिक सारे,
हैं, सभी संघर्षरत,
अपने पथों पर।
यात्रा के मध्य में, प्रारंभ में,
या अंत में हों,
हैं, सभी संघर्षरत अपने पथों पर
हैं,स्वयं ही बस,
स्वयं का साथ पाते
अन्यथा कोई न सचमुच साथ आते।
कुछ समय आवृत्तियां जब साथ आतीं।
और कर लेतीं परस्पर अंशच्छादित
और हम हैं संग- संग, यह बता जातीं ।
किंतु यह संभव सदा,
कुछ पल रहा है।
और यही बस दुख का,
कारण रहा है।
सब अलग हैं,
यात्रा पथ भी अलग हैं।
सिर्फ जीवट, जिजीविषा ,
संकल्पशक्ति, कर्मसत्ता
ही बनेंगे मार्गदर्शक,
वही चप्पू और वही पतवार होंगे
वही दिलाएंगे
तुष्टि, संतुष्टि, लक्ष्य, मोक्ष, अनंत से मिलन सुख।
इंदु पाराशर