अध्यापिका
अध्यापिका
दरवाजे में घुसते ही रश्मि ने आंख चुरा ली और सीधे अपने कमरे की तरफ बढ़ गई। कमरे में पहुंचते ही उसने धड़ाम से दरवाजा बंद कर दिया। विद्या को आजकल उसका यह नया व्यवहार समझ नहीं आ रहा , उसकी इतना हसने गाने वाली बेटी अपने में खोती जा रही है। न ठीक से खाना खाती है , न सोती है। पूरा पूरा दिन भूखी प्यासी रहेगी , और रात को अचानक उठकर इतना खायेगी कि लगेगा जैसे पूरी वानरसेना ने हमला कर दिया हो। टोको तो भभकती आँखों से देखेगी।
विद्या ने इस समस्या के बारे में अपनी सहेलियों से बात करी तो सबने यही कहा, अरे पंद्रह साल की लड़की ज्वालामुखी होती है , उसे अपनी माँ अच्छी नहीं लगती , वह आइडेंटिटी क्राइसिस से गुजर रही होती है , इसलिए फ़िक्र मत करो , एक दो साल में खुद ही ठीक हो जायगी ।
विद्या ने अपने पति रमेश से कहा ,” क्यों नहीं तुम उससे बात करते। ”
रमेश जैसे ही रश्मि के कमरे में घुसा , तो रश्मि ने छूटते ही कहा , “ मम्मी ने भेजा है आपको ?” रमेश यह सुनकर थोड़ा सकपका गया , यह देखकर रश्मि जोर से खिलखिलाकर हस दी। रमेश भी सहज हो गया और आकर उसकी बगल में बैठ गया , “ हूँ , तो क्या बात है , क्या परेशानी है ? “
“ कुछ नहीं , आपकी बीवी हमेशा अपनी हाँकती है। ”
“ छी, ऐसे नहीं कहते अपनी माँ के बारे में , वो प्यार करती हैं तुमसे। ”
“ हुं। “ और रश्मि चुप हो गई। रमेश भी थोड़ी देर इधर उधर की बातें करके उठ गया।
दिन ऐसे ही बीतने लगे, जब रश्मि का मूड अच्छा होता सब ठीक लगता , और जब उसका मूड खराब होता वह अपने कमरे में बंद हो जाती , और विद्या बाहर परेशांन बैठी रहती।
एकदिन जब विद्या से यह बर्दाश्त नहीं हुआ तो उसने उठकर रश्मि के कमरे का दरवाजा खोल दिया , देखा तो वह मेज के नीचे बैठी है।
“ अरे, यहां अँधेरे में क्यों बैठी है , कुछ देर बाहर जाकर सहेलियों से मिल आ। ”
रश्मि ने आंख उठाकर मां को देखा तो विद्या को लगा, यह तो गीली हैं।
“ क्या बात है बच्चे ? “ विद्या ने उसे बाँहों में भरते हुआ कहा।
विद्या के पुचकारने की देर थी कि रश्मि फूटफूटकर रोने लगी।
“ रो क्यों रही हो बताओ तो , किसने कुछ कहा क्या ?”
“ नहीं , आप बहुत अच्छे हो मैं अच्छी नहीं हूँ। “
विद्या परेशान हो गई , पर रश्मि ने कुछ कहा ही नहीं बस रोती रही।
अब विद्या और रमेश रश्मि की भावनओं को लेकर बहुत सजग रहने लगे, कहीं तो इस उदासी का ओरछोर मिले।
स्कूल में एनुअल डे का फंक्शन होना था , रश्मि ने किसी भी कार्यक्रम में भाग लेने से मना कर दिया। विद्या ने कारण पूछा तो कहा , “ देखो मेरी तरफ , इतनी बड़ी पकोड़े जैसी नाक है , फटी फटी ऑंखें हैं , स्टेज पर जाऊंगी तो सब हसेंगे मुझपर। ”
“ यह क्या कह रही हो तुम ?”
“ हाँ , मुझे मालूम है , तुम कहोगी कि मैं बहुत सुन्दर हूँ। “
हाँ , बिलकुल तुम वाकई बहुत सुन्दर हो। “
“ तुम माँ हो तुम तो ऐसे कहोगी ही , पर बाकि के लोग ऐसा नहीं सोचते , मोटी भैंस पैदा की है तुमने। ”
“ अब तुम मोटी कहाँ से हो गई , तुम्हारा वजन तो अभी बढ़ना चाहिए। ”
“ हाँ हाँ रहने दो , मुझे तुम्हारे जैसा नहीं बनना। ”
“ मेरे जैसा ? “
“ और नहीं तो क्या , एक हस्बैंड मिल गया , जो आगे पीछे घूमता है , सारा दिन बैठी रहती हो , कुछ नहीं करती कितनी मोटी हो तुम। ”
विद्या की इस अपमान से ऑंखें भर आई, परन्तु रश्मि ने उसे तिरस्कार पूर्वक देखा , और कमरे में चली गई।
मिडटर्म के रिजल्ट्स आ गए थे , परन्तु रश्मि ने घर में नहीं बताया था। एक शाम विद्या शाम के वक़्त पार्क में घूम रही थी कि उसने दूर से रश्मि की सहेली सिमी को आते देखा , विद्या ने दूर से हाथ हिलाया तो वह उसके पास आ गई।
“ नमस्ते आंटी , अब रश्मि कैसी है ? “
“ रश्मि तो ठीक है, उसे क्या हुआ है ?”
“ अच्छा , फिर स्कूल क्यों नहीं आ रही।? “
विद्या का माथा ठनका , वह चलने लगी तो सिमी ने कहा, “ एक बात और आंटी , मिडटर्म में रश्मि के मार्क्स बहुत कम आये हैं , इसलिए उसने आपको रिजल्ट्स नहीं दिखाए हैं ।” विद्या के कदमों के नीचे से जमीन खिसकने लगी। उसने किसी तरह उसे बाय कहा और घर आ गई। घर पहुंची तो रमेश और रश्मि दोनों टी . वी पर ‘ फ्रेंड्स ‘ देखकर खुश हो रहे थे।
उसका उदास चेहरा देखकर रमेश ने पूछा , “ क्या हुआ ?”
विद्या ने एकबार रश्मि को देखा और फिर रमेश से कहा , “ तुम जरा चलो मेरे साथ बैडरूम में तुमसे बात करनी है। ”
“ यहाँ क्यों नहीं , जरूर मेरे बारे में है। “ रश्मि ने चैलेंज देते हुए कहा।
अपने गुस्से को काबू करते हुए , विद्या ने कहा, “ अगर तुम्हे पता है तुम्हारे बारे में है , तो तुम बता क्यों नहीं देती , क्या प्रॉब्लम है ?”
रश्मि जोर जोर से रोने लगी , “ मुझे मर जाना चाहिए, आप लोग बहुत अच्छे हो मैं आपके काबिल नहीं। “
रमेश और विद्या , दोनों ने उसे अपने बीच मैं बिठा लिया।
रश्मि ने रोते हुए कहा , “ अब मैं स्कूल नहीं जाऊंगी, मुझे क्लास में कुछ समझ नहीं आता। ”
“ ठीक है मत जाना।। ” रमेश ने कहा।
उस रात उन्होंने रश्मि की पसंद का खाना मंगाया , और देर रात तक उसके साथ हंसी मजाक करते रहे। रश्मि बहुत दिनों बाद सामान्य लग रही थी। सोने जाने से पहले , बहुत दिनों के बाद उसने दोनों माँ पापा को ‘ गुड नाईट ‘ कहा।
सोने जाने के बाद उसके कमरे से सिसकियों की आवाज आने लगी , वे दोनों घबराकर उसके कमरे की तरफ दौड़े तो देखा वह टेड्डीबीयर को उधेड़ रही है , और रो रही है , उनको देखते ही उसने कहा , “ मुझे पता है आप मुझ से नफरत करते हो। ”
विद्या ने लैपटाप पर रविशंकर की सितार लगा दी, धीरे धीरे रश्मि रोते रोते सो गई।
अपने कमरे में आने के बाद विद्या ने कहा , “ क्या सोचते हो क्या किया जाये ?”
“ मुझे लगता है प्रॉब्लम स्कूल मैं है। ”
“ मुझे भी ऐसा ही लगता है। ”
“ उसकी सहेलियों से बात करना रिस्की होगा। ”
“ तो फिर थेरेपिस्ट से बात की जाये ?”
“ वो भी इसको अच्छा नहीं लगेगा ?”
“ तो। ”
“ तो क्या , तुम क्या सोचती हो ?”
“ मेरे ख्याल से कुछ दिन स्कूल न भेजकर , उसे घर में तुम पढ़ाओ। ”
“ मैं ही क्यों, तुम क्यों नहीं ?”
“ क्योंकि वह तुम्हारा विरोध कम करेगी। ”
रमेश को भी यह सुझाव अच्छा लगा , और अगले दिन से सुबह उठकर ऑफिस जाने से पहले उसे दो घंटा पढ़ाना शुरू कर दिया , विद्या और रश्मि दिनभर बोर्ड गेम्स खेलते, पेंटिंग करते,संगीत सुनते , एक्सरसाइज करते, किचन में नए नए पकवान बनाते। रश्मि धीरे धीरे फिर से खिल उठी ।
शाम का वक्त था। दोनों माँ बेटी संगीत की धुन पर अपनी अपनी ड्राइंग बुक में रेखाचित्र बनाने में तल्लीन थी कि अचानक सर उठाकर रश्मि ने कहा , “ आपको पता है स्कूल में क्या हुआ था ? “
“ नहीं। ” विद्या दम साध कर उत्तर की प्रतीक्षा करने लगी।
“ आपको याद है मम्मी अगस्त में मुझे बुखार आया था और मैं तीन दिन स्कूल नहीं गई थी। ”
“ हूँ। ” विद्या ने ध्यान से सुनते हुए कहा।
“ टीचर ने इस बीच गणित में नया विषय पढ़ा दिया था, मुझे क्लास में कुछ समझ नहीं आ रहा था। टीचर ने मेरी बहुत बेइज़्ज़ती की , और फिर रोज करने लगी , मुझे लगने लगा मुझमें कुछ कमी है। मुझे सब कुछ समझ आना बंद हो गया ,ये तो पापा ने जब मुझे पढ़ाना शुरू किया तो मेरा दिमाग जैसे फिर से खुलने लगा।
विद्या ने सुनकर एक राहत की साँस ली , और कहा , “ देखो रश , जिंदगी में तुम्हे ऐसे बहुत लोग मिलेंगे, जो तुम्हें अपनी कमियों के कारण नीचे गिराना चाहेंगे , और यह कोई भी हो सकता है , अपने कमजोर क्षण में मैं भी यह कर सकती हूँ , उस पल अपने पर भरोसा रखना। ”
रश्मि मुस्करा दी ।
अगली सुबह विद्या और रमेश ने देखा , रश्मि स्कूल जाने के लिए तैयार है।
रश्मि ने जाते हुए कहा , “ देखो माँ मेरा यह नया क्लिप अच्छा लग रहा है न ?”
“ हाँ हाँ , बहुत अच्छी लग रही है , अब जा देर हो रही है। “
रश्मि चली गई तो विद्या और रमेश ने एक दूसरे को देखा , आज सब कुछ कितना नया नया , ताजा ताजा लग रहा था।
—- शशि महाजन
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