अध्यात्म क्या है
शीर्षक:अध्यात्म क्या हैं
बहुत ही शिक्षाप्रद विषय हैं आज का बहुत सुधि जनों के विचार पढ़ने को मिलेंगे।आशा है मै भी कुछ लिख पाऊँगी।
कोई त्रुटि रहे तो अग्रिम क्षमा चाहतीं हूँ।
अध्यात्म का शाब्दिक अर्थ है – ‘स्वयं का अध्ययन-अध्ययन-आत्म अर्थात स्वयम को पढ़ना या जानना।पृथ्वी पर प्रत्येक जीव की एक-एक शरीर में पृथक पृथक सत्ता है, वही अध्यात्म है।बस उसी को पहचाना हैं।
अध्यात्म की अनुभूति सभी प्राणियों में सामान रूप से निरंतर होती रहती है। स्वयं की खोज तो सभी कर रहे हैं,परोक्ष व अपरोक्ष रूप से पर भली प्रकार से स्वयम को जाने।परंतु इसके विपरीत हम सांसारिक बन्धनों में आनंद ढूंढते ही रह जाते हैं परन्तु क्षणिक ही ख़ुशी पाते हैं ।ओर इसी को जीवन आनंद मानते हैं।जब हम क्षणिक संबंधों,क्षणिक वस्तुओं को अपना जान कर उससे आनंद मनाते हैं,जब की हर पल साथ रहने वाला शरीर भी हमें अपना ही गुलाम बना देता है।हमारी इन्द्रियां अपने आप से अलग कर देती है यह इतनी सूक्ष्मता से करती है – हमें महसूस भी नहीं होता की हमने यह काम किया है ?
जब हमें सत्य की समझ आती है तो जीवन का अंतिम पड़ाव आ जाता है व पश्चात्ताप के सिवाय कुछ हाथ नहीं लग पाता।ऐसी स्थिति का हमें पहले ही ज्ञान हो जाए तो शायद हम अपने जीवन में पूर्ण आनंद की अनुभूति के अधिकारी बन सकते हैं।हमारा इहलोक तथा परलोक भी सुधर सकता है।
अध्यात्म का सम्बन्ध जन्म और मृत्यु से नहीं आपसे है
आध्यात्मिक प्रक्रिया जीवन और मृत्यु के बारे में नहीं होती। शरीर का जन्म व मृत्यु होती है, जबकि आध्यात्मिक प्रक्रिया आपके बारे में होती है, जो कि न तो जीवन है और न ही मृत्यु। अगर इसे आसान शब्दों में कहा जाए तो इस पूरी आध्यात्मिकता का मकसद उस चीज को हासिल करने की कोशिश है, जिसे यह धरती आपसे वापस नहीं ले सकती। आपका यह शरीर इस धरती से लिया गया कर्ज है, जिसे यह धरती पूरा का पूरा आपसे वापस ले लेगी। लेकिन जब तक आपके पास यह शरीर है, तब आप इससे ऐसी चीज बना सकते हैं या हासिल कर सकते हैं, जो धरती आपसे वापस न ले पाए। चाहे आप प्राणायाम करें या ध्यान, आपकी ये सारी कोशिशें आपकी जीवन ऊर्जा को एक तरह से रूपांतरित करने का तरीका हैं, ताकि ये मांस बनाने के बजाय कुछ ऐसे सूक्ष्म तत्व का निर्माण कर सके, जो मांस की अपेक्षा ज्यादा टिकाऊ हो। अगर आप इस सूक्ष्म तत्व को पाने की कोशिश नहीं करेंगे तो जीवन के अंत में जब आपसे कर्ज वसूली करने वाले आएंगे तो वे आपसे सब चीज ले लेंगे और आपके पास कुछ नहीं बचेगा। उसके बाद की आपकी यात्रा का हिस्सा अच्छा नहीं होगा।तो आइए अपने को जाने उस पर आज से ही कार्य करे।ताकि हम स्वयं के साथ जी सके ओर सबको मार्गदर्शन भी दे सके।