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13 Aug 2021 · 1 min read

अधूरे ख्वाब

अभी तलक तो सभी ख्वाब हैं अधूरे ,
खुदा जाने ! कब होंगे या नहीं होगे पूरे ।

गहरा सागर और पतवार है टूटी हुई ,
लेकिन दूर बहुत ही दूर हैं किनारे।

अभी तलक एक भी अरमान पूरा न हुआ,
जो पोशीदा है तसव्वुर ए ज़हन में हमारे ।

तकदीर हमारे दरम्यां दीवार बनकर खड़ी है,
बड़े गुस्ताख है उसके हमारी ओर इशारे ।

वक्त का कारवां है की बढ़ता ही जा रहा है,
कदम से कदम मिला के चलें किसके सहारे?

कोई हमनवा ,हमराही और हमदर्द भी नही ,
खो चुके है हमारी जिंदगी को सभी सहारे ।

अब तो जिंदगी की शाम होने जा रही हैं”अनु” ,
अब समेत समेट भी ले अपने अरमान सारे ।

3 Likes · 2 Comments · 883 Views
Books from ओनिका सेतिया 'अनु '
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