अधूरे ख्वाब!
नहीं चाहिए मुकम्मल जहां,
कुछ ख्वाब अधूरे चाहिए,
कागज पर फड़कने को ,
कुछ अल्फ़ाज़ अधूरे चाहिए,
जब अंधेरी रातों में नींद उड़ जाती है,
तेरे मेरे इश्क का अधूरापन सताती है,
दर्द अधूरे छलकते हैं मेरे जज्बातों में,
रूह मचलती है तेरे ही ख्यालातों में,
तुमसे बातें करने को,
कुछ सवालात अधूरे चाहिए,
कागज पर फड़कने को………..।।