अधूरी हसरत
**** अधूरी हसरत ****
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मन की अधूरी हसरत है,
जारी हमारी कसरत है|
होती रहीं खुल कर बातें,
दिल मे समाई नफरत है|
मुखरित सदा हो मधु बातें,
लब पर लगाया शरबत है|
जोली भरी उन्मादों से,
कर में बहुत ही बरकत है|
लीला खुदा की ना जानें,
सूखे पड़े सारे दरख़्त हैं|
करवट बदलते बेचैनी से,
पूरी न हो पाई कुरबत है|
कैसी सजा यह मनसीरत,
तन में नहीं अब हरकत है|
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)