“ अधूरी प्यास “
“ अधूरी प्यास “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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जरा सा रुक जाओ तो ,
खुलके दीदार करूँ !
बरस के बाद मिले हो ,
थोड़ा सा प्यार और करूँ !!
अधूरा प्यार हमें ,
रोज ही तड़पाएगा !
तुम्हारी याद में ,
दिल न धडक पाएगा !!
अभी तो पास हैं ,
थोड़ी बातें और करूँ !
बरस के बाद मिले हो ,
थोड़ा सा प्यार और करूँ !!
मेरी जो यादें हैं ,
जाने के बाद आएंगी !
तुम्हारी आखों में ,
बारिश भर आएंगी !!
कुछ बातें अभी भी हैं ,
क्यों ना इजहार करूँ !
बरस के बाद मिले हो ,
थोड़ा सा प्यार और करूँ !!
कभी ना सोचना कि ,
हम तुमसे दूर जाएंगे !
एक आवाज तो देना ,
हम दौड़े चले आएंगे !!
तुम्हारे रूप को फिर ,
से निगाहों से वार करूँ !
बरस के बाद मिले हो ,
थोड़ा सा प्यार और करूँ !!
जरा सा रुक जाओ तो ,
खुलके दीदार करूँ !
बरस के बाद मिले हो ,
थोड़ा सा प्यार और करूँ !!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउन्ड हेल्थ क्लिनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका ,झारखंड
भारत