अधूरी आस
अधूरी आस……।
सुनो,
है सब कुछ पास मेरे
फिर भी कुछ नहीं है पास ।
कुछ अधूरे से ख़्वाब हैं
साथ न पूरे होने का अहसास।
इक अधूरी सी है प्यास ।
अब न कोई हसरत ही बाक़ी
बची नहीं और कोई आस ।
है ज़िंदगी तमाशा बाज़ बहुत
रचाती रोज़ अजब सा रास ।
मुझे पहले से ही था आभास
बिना पंख होती नहीं परवाज़।
अधूरी अरमानों की धरती
अधूरा चाहत का आकाश।
अधूरी थी अधूरी है अधूरी रहेगी मेरे पास
बता कैसे पूरी होगी नीलम अधूरी सी ये आस।
नीलम शर्मा