अधूरी आस
अधूरी आस (धनुष वर्ण पिरामिड)
जो
कभी
न पूरी
हुयी कभी
आस अधूरी
मिलते मिलते
फिसल गयी वह
अब नहीँ मिलेगी
बाँह छुड़ा कर
भाग गयी है
निष्ठुर है
हृदय
नहीँ
है।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।
अधूरी आस (धनुष वर्ण पिरामिड)
जो
कभी
न पूरी
हुयी कभी
आस अधूरी
मिलते मिलते
फिसल गयी वह
अब नहीँ मिलेगी
बाँह छुड़ा कर
भाग गयी है
निष्ठुर है
हृदय
नहीँ
है।
साहित्यकार डॉ0 रामबली मिश्र वाराणसी।