अधुरा न्याय
अग्नि परीक्षा दिलवा कर लाए थे राम,
फिर भी त्याग दिया उसे,
जब उसे जरूरत थी तुम्हारी,
क्या सोचा कौन संभालेगा उसे?
जब पीङा होगी उसके कोख में,
किसका हाथ थामेगी वह?
प्रसव पीङा के समय,
सोचा कभी, क्या उत्तर देंगी वह?
अपने बच्चे को,
जब प्रशन करेंगे, अपने पिता के बारे में,
क्यो राम,क्या भरोसा नहीं था,
अपनी अर्धांगिनी पर??
जो छोङ दिया उसे मरने के लिए,
बिच जंगल में,
फिर क्यो लाएं राम उसे बचा कर,
लंका से,
क्या वह “कुम्हार” ज्यादा सत्यवादी था राम?
क्या तुम्हारी प्रतिस्था, जीवन से अधिक मुल्यवान था?
यह कैसा न्याय था राम?
अब बताओ राम,
रावण कौन था,
वह दसानन या तुम??